पॉस्को एक्ट क्या है? पोस्को अधिनियम, प्रावधान : बाल यौन शोषण से संरक्षण की पूरी जानकारी इस लेख में दिया गया है । पॉस्को एक्ट में कितने दिन की सजा मिलती है। पॉस्को एक्ट से कैसे बचा जा सकता है। पॉस्को एक्ट कब लागू हुआ। पॉस्को एक्ट में कुल कितनी धाराएं हैं। पॉस्को एक्ट में जमानत। बच्चे का यौन उत्पीड़न संज्ञेय। Pocso अधिनियम वह सब कुछ जो आपको जानना आवश्यक है। आइए विस्तार से जानते हैं
पॉस्को एक्ट क्या है? अधिनियम, प्रावधान, धाराएं, सजा, जमानत। |
पॉस्को एक्ट क्या है? अधिनियम: बाल यौन शोषण संरक्षण
पॉस्को एक्ट बच्चों को यौन शोषण से बचाता है। Pocso अधिनियम भारत सरकार द्वारा बनाया गया अधिनियम है।
- इसके अंतर्गत बच्चों के प्रति होने वाले यौन शोषण पर प्रभावी अंकुश लगाने
- एवं बच्चों को यौन शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के संरक्षण हेतु प्रावधान प्रदान किए हैं।
- आज के समय में बच्चों को सही गलत, अच्छे बुरे की स्पर्श आदि कि शिक्षा और समझ देना बहुत आवश्यक है
- ताकि वे अपनी सुरक्षा खुद भी करने में सक्षम हो । इसलिए हर मां बाप का यह पहला कर्तव्य बन जाना चाहिए।
- आए दिन बाल यौन शोषण के बारे में सुनते देखते हैं
- बच्चों का यौन शोषण एक सामुदायिक चिंता का विषय हो गया है
- लेकिन क्या इसका कोई प्रावधान है- हां, यौन अपराध से बच्चों का संरक्षण करने के लिए पॉस्को एक्ट बनाया गया है
- इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न, यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामले में कार्रवाई की जाती है
- इस कानून के अंतर्गत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा निर्धारित की गई है
- बच्चों के खिलाफ अपराध विधेयक का मसौदा परिचालित हुई 2009 में
- तब शुरू हुई कानून बनाने की प्रक्रिया जो अंत में पोस्को अधिनियम बन गया
- यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012, यह पूरे भारत पर लागू होता है
- 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों को नाबालिग माना जाता है।
क्या पॉस्को एक्ट लड़कों पर लागू होता है? Pocso पोक्सो अधिनियम
पोस्को एक्ट को लिंग तटस्थ कानून कहा जाता है, लेकिन यह किशोर लड़के और किशोर लड़की के बीच अंतर करता है।
- किशोर लड़के और किशोर लड़की के बीच शारीरिक संबंध से जुड़े मामलों में
- लड़की को पीड़ित माना जाता है, और लड़के को आरोपी माना जाता है
- भारतीय दंड संहिता नहीं मानता है कि यौन उत्पीड़न लड़कों पर किया जा सकता है।
पोस्को एक्ट कब लागू हुआ? पोस्को अधिनियम 2012
इस अधिनियम को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2012 पोस्को एक्ट 2012 के नाम से बनाया गया है।
इस अधिनियम का प्रमुख उद्देश्य बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाव करना और आरोपी को सजा देना।
भारत का संविधान 1950 में लागू हुआ तब किशोरों के लिए अलग कानून की आवश्यकता अनुभव की गई।
यह अधिनियम 19 जून 2012 को अधिनियमित किया गया था, और इसे 14 नवंबर 2012 को लागू किया गया था।
यह अधिनियम बच्चों को यौन हिंसा, यौन उत्पीड़न और पोर्नोग्राफी जैसे अपराधों से रक्षा व संरक्षण प्रदान करता है।
पोस्को एक्ट में कितने दिन की सजा है ?पॉस्को अधिनियम से बचने का उपाय
पॉस्को एक गैर जमानती अपराध है।
- इसमें दोषी पाए जाने पर कम से कम 7 साल की जेल, और अधिकतम उम्र कैद की सजा होती है
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बाल यौन अपराध संरक्षण कानून 2012 में संशोधन की मंजूरी दी
- साल 2019 में कानून में संशोधन कर दोषियों के लिए मौत की सजा का प्रावधान किया गया है
- अब कानून में बदलाव होने के बाद कोई भी 12 साल तक की
- बच्चों के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान भी किया गया है
- साथ ही इसके संबंध में मीडिया के लिए भी सख्त चेतावनी दी गई है कि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार के स्टूडियो, फोटोग्राफी सुविधाओं से
- बालक का नाम, पता, विधालय, पड़ोस , परिवार या अन्य विवरण को प्रकट नहीं किया जायेगा।
- अधिक प्रमाणित सूचना के बिना किसी बालक के संबंध में कोई रिपोर्ट या उस पर कोई टिप्पणी नहीं किया जायेगा,
- जिससे उसकी प्रतिष्ठा हनन हो या उसकी गोपनीयता का उल्लंघन होता हो
- उल्लंघन करने पर 6 माह से 1 वर्ष का कारावास व जुर्माने दोनों से दंडित किया जाएगा
- अतः अपराधी किसी भी सूरत में पॉस्को एक्ट से नहीं बचा जा सकता
- पॉस्को एक्ट से बचने का कोई भी उपाय नहीं है।
- पोस्को एक्ट की धारा 3 के तहत नाबालिक बच्चे के साथ बदनीयती से हमला करने
- और धारा 4 के तहत रेप करने पर कम से कम 7 साल की सजा का प्रावधान है
- अधिकतम आजीवन कारावास की सजा भी संभव है, जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
पॉस्को की धारा 7 के तहत गलत नियम से नाजुक अंग को छूने पर 3 साल की सजा व जुर्माने का प्रावधान है।
पॉस्को एक्ट कैसे लगता है? बच्चे का यौन उत्पीड़न संज्ञेय
पॉस्को का फुल फॉर्म- पोस्को एक्ट यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट (protection of children from sexual offences Act - Pocso)। यह बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को अपराध बताता है।
- यह कानून 18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों दोनों पर लागू होता है
- पहली बार दोषी पाए जाने पर 5 साल की कैद होगी
- पॉस्को कानून के तहत सभी अपराधों की सुनवाई एक विशेष न्यायालय द्वारा कैमरे के सामने,
- बच्चे के माता-पिता या जिन लोगों पर बच्चा भरोसा करता है उनकी उपस्थिति में होती है।
- हाईकोर्ट ने कहा, पॉक्सो एक्ट में खास प्रावधान है लिहाजा इसमें
- आरोपी और पीड़िता में समझौता हो जाने पर f.i.r. को खारिज नहीं किया जा सकता
- यदि मामलों में राहत दी जाए तो यह पोस्को एक्ट को बनाए जाने के मुद्दे से भटकना होगा। See more
पॉस्को एक्ट में कुल कितनी धाराएं है ? -2019
पोक्सो एक्ट भारत के सभी नागरिकों पर लागू होता है पॉस्को एक्ट में कुल 46 धाराएं हैं।
- संक्षिप्त नाम विस्तार और प्रणाम
- परिभाषाएं
- प्रवेशन लैंगिक हमला
- प्रवेशन लैंगिक हमला के लिए दंड
- गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला
- गुरुतर प्रवेशन लैंगिक हमला का दंड
- लैंगिक हमला
- लैंगिक हमला का दंडा
- गुरुतर लैंगिक हमला
- गुरुतर लैंगिक हमला का दंड
- लैंगिक उत्पीड़न
- लैंगिक उत्पीडन का दंड
- अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग
- अश्लील प्रयोजनों के लिए बालक का उपयोग का दंड
- बालक को सम्मिलित करने वाली अश्लील सामग्री के भंडारण के लिए दंड
- किसी अपराध का दुष्प्रेरण
- दुष्प्रेरण के लिए दंड
- किसी अपराध को करने के प्रयत्न के लिए दंड
- अपराधों की रिपोर्ट करना
- मामले को रिपोर्ट करने के लिए मीडिया स्टूडियो और फोटो चित्रण सुविधाओं की बाध्यता
- मामले को रिपोर्ट करने या अभिलिखित करने में विफल रहने के लिए दंड
- मिथ्या परिवाद मिथ्या सूचना के लिए दंड
- मीडिया के लिए प्रक्रिया
- बालक के कथनों को अभिलिखित किया जाना
- मजिस्ट्रेट द्वारा बालक के कथन का अभिलेखन
- अभिलिखित किए जाने वाले संबंध में अतिरिक्त उपबंध
- बालक की चिकित्सीय परीक्षा
- विशेष न्यायालयों को अभिहीत किया जाना
- कतिपय अपराधों के बारे में उपधारणा
- आपराधिक मानसिक दशा की उपधारणा
- विशेष न्यायालय के समक्ष कार्यवाहिय को दंड प्रक्रिया संहिता 1973 का लागू होना
- विशेष लोक अभियोजक
- विशेष न्यायालयों की प्रक्रिया और शक्तियां
- बालक द्वारा अपराध किए जाने और विशेष न्यायालय द्वारा आयु का अवधारणा करने के मामले में प्रक्रिया
- बालक के साक्ष्य को अभिलिखित और मामले का निपटारा करने के लिए अवधि
- साक्ष्य देते समय बालक का अभियुक्त को न दिखना
- विचारण का बंद कमरे में संचालन
- बालक का साक्ष्य अभिलिखित करते समय किसी दुभाषिए या किसी विशेषज्ञ की सहायता लेना
- विशेषज्ञ आदि की सहायता लेने के लिए बालक के लिए मार्गनिर्देश
- विधिक काउंसेल की सहायता लेने का बालक का अधिकार
- कतिपय मामलों में धारा 3 से धारा 13 तक के उपबंध का लागू ना होना
- अनुकल्पिक दंड
- अधिनियम के बारे में लोक जागरूकता
- अधिनियम के क्रियान्वयन की मनीटरी
- नियम बनाने की शक्ति
- कठिनाइयां दूर करने की शक्ति
पॉस्को एक्ट में जमानत कैसे होती है ?
मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराध को इसमें बलात्कार और रेप माना गया है।
- इस अपराध के अंतर्गत भारतीय दंड संहिता 376 में जमानत का बिल्कुल भी प्रावधान नहीं है
- कोई व्यक्ति कितनी भी जमानत दे सकता है मगर शर्त यह है कि प्रस्तुत बंधपत्र और उसकी हैसियत से न्यायालय की संतुष्टि हो जाए
- आमतौर पर एक मुकदमे में एक जमानतदार ही जमानत दे सकता है
- क्योंकि 1 से अधिक लोगों के लिए एक ही जमानत होना पसंद नहीं किया जाता।
पॉक्सो एक्ट के तहत सरकार ने उठाये कठोर कदम
- सरकार ने महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार और बच्चों के विरुद्ध यौन हमले के
- घृणित अपराधों के प्रति वर्तमान कानून को और अधिक कठोर करते हुए
- अब दुष्कर्म एवं पोक्सो एक्ट से संबंधित अपराध की धाराओं में संशोधन कर
- अपराधियों की अग्रिम जमानत की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है।
- इसलिए अपराध करने से बचें।
- अपने बच्चों को सुरक्षित रखें।