सेंगोल(राजदंड) क्या है? नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल का सच, 28मई। सेंगोल चोल वंश से प्रेरित , सेंगोल का इतिहास : सत्ता*
सामान्य ज्ञान What is Sengol
सेंगोल(राजदंड) क्या है? नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल का सच : हम यहां जानेंगे। इस लेख को पढ़कर प्राचीन भारत का इतिहास सेंगोल के बारे में जानकारी पता कर पायेंगे। आइए सेंगोल(राजदंड) क्या है? नए संसद भवन में स्थापित सेंगोल का सच को विस्तार से जानते हैं
सेंगोल(राजदंड) क्या है what is sengol |
सेंगोल(राजदंड) क्या है What is Sengol? : संसद भवन
सेंगोल दक्षिण भारत में चोल साम्राज्य में चोल वंश के राजा सत्ता हस्तांतरण के लिए अधिकार के प्रतिक सेंगोल(राजदंड) का प्रयोग करते थे। इसे न्याय के रूप में देखा जाता था। यह शक्ति, वैधता और संप्रभुता का मूर्त रूप बताया जाता है। इस राजदंड को तमिलनाडु से भी जोड़कर देखा जाता है।
तब सी राजगोपालाचारी सेंगोल(राजदंड) के उपयोग का सुझाव दिया था।
जब भारत आजाद हो रहा था तब लॉर्ड माउंटबेटन ने इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिया था। और उस रात 1947 को एक विशेष गीत भी गाया गया था। जब पं नेहरू ने सेंगोल को स्वीकार कर लिया था।
28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन है- सेंगोल(राजदंड)
28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होने जा रहा है - लेकिन सेंगोल स्थापना पर विवाद हो रहा है कि भारत के इतिहास की रक्षा करने में पं नेहरू की विफलताओं को माना गया है।
नए संसद भवन में सेंगोल का रखना इस बात की तरफ इशारा करता है कि विशेष वर्ण व संघी ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। ऐसा लगता है कि यह संविधान की जगह पर मनुस्मृति लाने का षड्यंत्र रचा गया है।
- सेंगोल भारत के चोल साम्राज्य की निशानी है
- उस समय ये निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन का प्रतीक था
- अंग्रेजों ने इसे सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा था
- आजादी के बाद से इलाहाबाद के संग्रहालय में रखा गया था
- पीएम मोदी वापस शुरू करेंगे ये सेंगोल परंपरा।
महान सम्राट अशोक के साम्राज्य का चित्र। |
क्रोनोलॉजी समझिए लोकतंत्र और राजदंड: सेंगोल
आजादी के बाद गांधी के अनुयायियों को सत्ता का हस्तांतरण हुआ।
याद दिला दू कि 28 मई को सावरकर का जन्मदिन हैं। इसी दिन लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के बगल में सेंगोल(राजदंड) रखा जाएगा।
होम मिनिस्ट्री की ओर से जारी सेंगोल को ध्यान से देखें
उसके ऊपरी हिस्से पर नंदी विराजमान है। चोल साम्राज्य में नंदी को न्याय का प्रतीक बताया जाता है। नंदी शिव की सवारी हैं, शिव हिंदू धर्म का आधार है। मतलब साफ है की हिंदुत्व राष्ट्र बनाने की कोशिश चरम सीमा पर चल रही है।
कहां से आया सेंगोल(राजदंड): सेंगोल का इतिहास
सेंगोल चोल साम्राज्य से लिया गया है जो कि एक ब्रह्मणवादी हिंदू राज्य था। जिसमें वेद ही सर्वश्रेष्ठ था। चोल साम्राज्य ने 8वीं, 9 वीं शताब्दी से 13 शताब्दी की शुरुआत तक दक्षिण भारत के सबसे बड़े हिस्से पर राज्य किया।
चोल साम्राज्य में भारत में सबसे अधिक मंदिर बनाया गया। इन मंदिरों को बड़े पैमाने पर कृषि भूमि दी गई जिससे लगान वसूला जाता था।
चोल राजाओं का गुरु उत्तर भारत विशेषकर काशी का ब्राह्मण होता था।
तब सिर्फ ब्राह्मण का वर्चस्व होता था। ब्राह्मदेव होते थे। वे राजा के आदेश का भी उल्लंघन कर सकते थे। इसके लिए उन्हें कोई दंड नहीं दिया जाता था। इस राज्य में ब्राह्मण सर्वश्रेष्ठ थे।
हमारा संविधान सर्वधर्म समभाव की बात करता है लेकिन अब लोकतंत्र की आत्मा संसद में राज्यदंड रखा जाएगा।
सवाल
1.भारत का राष्ट्रीय चिन्ह सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया गया है। उसकी कॉपी है, लेकिन सेंगोल(राजदंड) कहां से लिया गया है, कहां से कॉपी की गई है?
2.ऐसा सेंगोल रूपी राजदंड कहां की खुदाई में मिला इसकी मूल कॉपी कहां है। किस पुरातत्ववेता ने किस स्थान से खोजा है?