परामर्श क्या है? अर्थ, परिभाषा,विशेषताएं, गुण, कौशल|counselling Meaning in Hindi :आज हमारी वेबसाइट www.psychologyina.com का टॉपिक है - परामर्श का मतलब क्या है? परामर्शदाता के गुण व कार्य क्या है। इस लेख में Paraaamarsh kya hota hai. काउंसलर की 5 योग्यताएं और भूमिका के बारे में निर्देशन और मार्गदर्शन किया गया है।
counselling Meaning in Hindi - वर्तमान जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है जहां मनोविज्ञान का उपयोग नहीं किया गया हो। व्यक्तिगत क्षेत्र, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र, शैक्षणिक, व्यवसायिक, औद्योगिक एवं संगठनात्मक और चिकित्सा क्षेत्रों में आज मनोविज्ञान एवं मनोवैज्ञानिक परामर्श का अत्यधिक योगदान देखा जा रहा है।
प्राचीन काल से ही परामर्श मानव समाज में किसी न किसी रूप में मानव समाज में किसी न किसी रूप में विद्यमान रहा है।महाभारत के युद्ध के समय कृष्ण ने, अर्जुन को भ्रमित होते हुए देखकर तथा कर्तव्य मार्ग से विचलित पाकर उन्हें परामर्श एवं निर्देशन प्रदान किया। जीवन में आज भी इसकी जरूरत है।
परामर्श किसे कहते है counselling का अर्थ एवं विशेषताएं
मनोवैज्ञानिक परामर्श एक प्रकार की पेशेवर मदद है जो आपकी समस्याओं को हल करने, और स्वयं के कौशल में सुधार करने में मदद करती है। ताकि व्यक्ति अधिक उत्पादक जीवन जी सकें। मनोवैज्ञानिक परामर्श केवल मानसिक बीमारियों या विकारों के उपचार तक ही सीमित नहीं है।
- counselling यह व्यक्तियों को उनके लक्ष्यों की पहचान करने और फिर उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए
- उनके साथ काम करने में मदद करके उनकी भलाई की गहरी भावना को संबोधित करता है।
- एक मनोवैज्ञानिक का काम मानव व्यवहार के अध्ययन के साथ-साथ उसकी मानसिक समस्याओं का समाधान करना होता है।
- काउंसलर अपने व्यवसायिक क्षेत्रों में उन्हीं तकनीकों का प्रयोग करता है,
- जो उसने अपने प्रशिक्षण के दौरान सीखा हो एवं शोध करते रहने से निपुणता प्राप्त होता है।
परामर्श क्या है? अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, गुण, कौशल| |
- परामर्श लोगों को ऐसे समय में सलाह और सहायता प्रदान करके
- उनकी भावनात्मक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद कर सकता है
- जब व्यक्ति को इसकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है। क्लिक से पढ़ें: MSE की पूरी जानकारी
- इस प्रकार की चिकित्सा उन्हें अपनी स्थिति को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है,
- और समाधान खोजने की दिशा में काम करती है। जिससे उनकी स्थिति में सुधार होता है।
परामर्श की परिभाषा|counselling Meaning in Hindi
मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजर्स कहते हैं, "परामर्श व्यक्ति से सीधा संपर्क बनाने की एक श्रृंखला है, जिसके द्वारा व्यक्ति को उसकी अभिवृत्तियों और व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए सहायता दी जाती है"।
परामर्शदाता और लाभार्थी (परामर्श लेने वाला) दोनों के बीच पारस्परिक संबंधों पर आधारित अंतः क्रियात्मक प्रक्रिया को परामर्श कहते हैं।
काउंसलर द्वारा, क्लाइंट की तनावपूर्ण या भावनात्मक भावनाओं सहित कठिनाइयों का पता लगाने की प्रक्रिया परामर्श कहलाती है। जिसमें इन बातों का ध्यन दिया जाता है
- ग्राहक की मदद करने का कार्य
- चीजों को अधिक स्पष्ट रूप से देखना
- भिन्न दृष्टिकोण से
- फोकस और फिलिंग अनुभव और व्यवहार के क्लाइंट को सक्षम करना
- एक लक्ष्य के साथ सकारात्मक परिवर्तन करना।
- भरोसे का रिश्ता, आत्मविश्वास बनाना.
मनोवैज्ञानिक परामर्श का एक मुख्य कारण मुद्दों पर काबू पाने में सहायता करना है, उदाहरण के लिए- चिंता, डर, मानसिक परेशानी इत्यादि। परामर्श देने वाले व्यक्ति को परामर्शदाता (काउंसलर) कहते हैं।
इसका उद्देश्य क्या है ?
परामर्श का उद्देश्य व्यक्ति को भविष्य की समस्याओं को हल करने में मदद करना और व्यक्तिगत, सामाजिक, भावनात्मक शैक्षणिक, व्यवसायिक विकास को भी बढ़ाना है।
परामर्शदाता के पाँच प्रमुख गुणों के नाम लिखें?
- बिना शर्त सकारात्मक संबंध
- सहानुभूति
- वास्तविकता
- धैर्य
- गैर-निर्णय ग्राहक की मुक्त अभिव्यक्ति गुण होते हैं।
समानुभूति का अर्थ होता है सामान तरह की अनुभूति का होना। यह एक ऐसी योग्यता है, जिसमें कोई व्यक्ति दूसरे के अनुभव या भावों को अपने स्वयं के अनुभव या भाव समझता है। अर्थात दूसरे के आईने में अपने को झांकने के भाव को सहानुभूति करते हैं (Putting oneself in other shoes)।
- समानुभूति के माध्यम से एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के आत्म निष्ठ संसार के भीतर झांकने का प्रयास करता है
- आंतरिक मन स्थिति विचार और भावनाओं के अनुभवों को इस तरह देख पाता है, मानो वे अपने स्वयं के अनुभव हो।
- इसलिए परामर्श देने के लिए मनोवैज्ञानिकों में समानुभूति का कौशल होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
एक उच्चतर परामर्शदाता (काउंसलर)की कौशल, योग्यताएं और भूमिका
1. संचार कौशल- संवाद संचार का एक कला है जो जीवन को सरल बनाता है। जीवन का अर्थ संवाद है । संचार के बिना सामाजिक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। प्रभावी बोलना, प्रभावी ढंग से सुनना और अशाब्दिक संचार में शारीरिक मुद्रा के माध्यम से हाव-भाव, हाथ -पैर, सिर की गति, भावनाओं एवं संवेग की मुखाअव्यक्ति को समझते हैं । तथा इन बातों का सावधानी रखनी चाहिए।
2. परामर्श कौशल- एक परामर्शदाता होने के लिए किसी सक्षम अनुभवी परामर्शदाता के निर्देशन में व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक है। क्योंकि परामर्श प्रक्रिया की सफलता बहुत हद तक परामर्शदाता पर ही निर्भर करती है। परामर्श विशेषज्ञ की हैसियत से हम परामर्श देने के लिए इच्छुक होते है। सलाह देना, साक्षात्कार करना आदि परामर्श नहीं कहलाता।
परामर्शदाता लाभार्थी के साथ व्यवसायिक संबंध पर आधारित परामर्श का अंतः क्रियात्मक प्रक्रिया नैतिकता एवं सैद्धांतिक मूल्य पर करते हैं। इसमें अपने क्लाइंट के हितों और अपने उत्तरदायित्व का बोध होना चाहिए। उसके प्रति संवेदनशील एवं निजता गोपनीयता का ध्यान रखते हैं, एवं नए विचारों के प्रति खुलापन रखते हैं। परामर्शदाता लाभार्थी के संवेदनात्मक कष्टों को कम करना, परिस्थिति से मुकाबला करने का कौशल आदि में वृद्धि करते हैं।
3. परीक्षण कौशल -इसमें व्यक्तियों की विभिन्नताओं का अध्ययन करने के अलावा मनोवैज्ञानिक विशेषताओं के विश्लेषण एवं निर्धारण के रूप में इनका प्रयोग व्यवसायिक, औद्योगिक, सामाजिक, नैदानिक, शिक्षा, व्यक्तियों के समूह, मनोवैज्ञानिक मापन मूल्यांकन, संगठनों और समुदायों की समस्या के समाधान तथा अन्यायन्य मानवीय क्रियाकलापों के क्षेत्रों में किया जाता है। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करते समय वस्तुनिष्ठता वैज्ञानिक उन्मुक्त ,मानकीकृत व्याख्या के प्रति सजगता रखते हैं ।
4. प्रेक्षण कौशल- मनोवैज्ञानिक अपने परीक्षण कौशल के माध्यम से ही व्यक्ति के व्यवहार
- एवं समस्याओं को जानने के लिए उसके आसपास के वातावरण में घटने वाली घटनाओं
- एवं उसके भौतिक स्थितियों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करता है,
- क्योंकि सूक्ष्म छोटा तथा अप्रासंगिक सा दिखने वाला संकेत भी मानव व्यवहार को प्रभावित करता है।
- एक व्यक्ति किस वातावरण में रह रहा है। उसके घर के सदस्यों का व्यवहार कैसा है,
- परिवेश के चारों ओर रहने वाले लोग कैसे हैं, उसके रहने का स्थान कहां, कब, क्या, कैसा है, रंग, घर में लगे चित्र, प्रकाश इन सभी भौतिक स्थितियों का प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है।
- एक कुशल मनोवैज्ञानिक परिवेश के इन छोटे-छोटे संकेतों का भी धैर्यपूर्वक प्रेक्षण करते है।
5. साक्षात्कार कौशल- मनोवैज्ञानिक यह मानते हैं कि किसी साक्षात्कार के लिए प्रारंभिक तैयारी बहुत महत्वपूर्ण है। साक्षात्कार का उद्देश्य लक्ष्य निर्देशन साक्षात्कार का स्थान, समय, तिथि का निर्धारण साक्षात्कार से पूछे जाने प्रश्नों की सूची प्रारंभिक औपचारिकताएं आदि साक्षात्कार के प्रारंभिक तैयारी के महत्वपूर्ण पक्ष है।
साक्षात्कार विधि के मुख्य गुण कौन-कौन से होते हैं?
छात्रों की समस्या से संबंधित प्रश्न एवं इसके विभिन्न शीलगुण का प्रत्यक्ष अध्ययन साक्षात्कार होता है।
मानसिक एवं शारीरिक सील गुणों का अध्ययन विचारों का आदान-पदान। अमूर्त की घटनाओं का अध्ययन भूतकाल की घटनाओं एवं गोपनीय अनुभवों तथा घटनाओं का अध्यायन शामिल है।
अध्ययन की विश्वसनीयता आदि गुणों का होना आवश्यक है।
समानुभूति कौशल- इसका प्रयोग मनोविज्ञान के अनुप्रयोग आत्मक क्षेत्रों में कार्यरत मनोवैज्ञानिकों को होती है। क्योंकि यह कौशल आपसी समझ के लिए आधार होते हैं जो बहुत ही आवश्यक है।
आत्मअनुशासन - किसी भी क्षेत्र में आत्मानुशासन का होना आवश्यक है मनोवैज्ञानिकों में आत्मानुशासन का होना आवश्यक है।
दैनिक जीवन में भी जब कोई दो व्यक्ति आपस में बात करते हैं, तो उनके शारीरिक मुद्रा चेहरे के हावभाव आजादी में परिवर्तन आता है। जिसका प्रभाव उसके वार्तालाप पर भी पड़ता है। इसलिए व्यक्ति को वार्तालाप के समय अपनी भावनाओं को समझें और व्यवहारों पर ध्यान रखना आवश्यक होता है। Learn more
- इसी तरह मनोवैज्ञानिक को अपने लाभार्थी के साथ परिस्थितियों को लेकर अंतः क्रिया करने में अपनी भावनाओं, संवेग आदि इन सारे व्यवहारों पर बहुत अधिक नियंत्रण रखना आवश्यक होता है।
- परामर्श को सफल बनाने के लिए क्रमश परामर्शदाता को निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ और संवेदनशील निरीक्षक की भूमिका होती है।
- क्योंकि जब परामर्शदाता का व्यवहार लाभार्थी के साथ सहयोग पूर्ण रहता है तो
- इसका अनुकूल प्रभाव लाभार्थी पर पड़ता है, जो परामर्श की प्रक्रिया को सफल बनाता है।